ओ जागो रे ए.. जागो रे..... ( Jago re ae Jago re )



 ओ जागो रे ए..  जागो रे.....  2 

अँधेरा जा रहा है,  सबेरा आ रहा है। 

सोये कब तक रहोगे, वक्त समझा रहा है।  

ज्ञान का सूरज ये..ए ..... 

ज्ञान का सूरज ये, नूर बरसा रहा है। 

ओ जागो रे ए..  जागो रे.....  2 


जान बुझ कर आँखें मींचे, तू सपनों में सोये 

सपना तो सपना है बन्दे, ये ना किसे का होव। 

जो था हकीकत मेरा जा सपने में बना भिखारी। 

इस धोखे में तू मत आना ये है माया सारी। 

खोल आँखें दीवाने, कोई आया जगाने 

ना गफलत में गवाना, तू अपने दिन सुहाने। 

होश में आजा अब तो..... ओ ...... 

होश में आजा अब तो, ये जीवन जा रहा है। 

 ओ जागो रे ए..  जागो रे.....  2


धन दौलत और महल चौबारे, सब बादल की छाया 

कुछ भी तेरे संग ना जाये, क्यों इनमें भरमाये। 

जिनको अपना समझ रहा है, मात-पिता सूत नारी 

रंग मंच की ये रचना है, कागज की फुलवारी। 

ये दुनियां है एक मेला, जैसे पानी का रेला

छोड़ के रिश्ते नाते तुझे जाना है अकेला। 

है झूठी दुनियां सारी ..ओ ....... 

है झूठी दुनियां सारी, तू क्यों भरमा रहा है। 

 ओ जागो रे ए..  जागो रे.....  2 


जो सपने में रहकर गुरु से, इस सच को पहचाने 

वो जीवन की बाजी जीते, कह गए लोग सयाने। 

हर युग में सोने वालों को, गुरु जगाने आता 

क्या सच है और क्या है सपना, ये आकर समझाता। 

अरे नादान आजा, हकीकि राज पाजा 

जो परदा आँख पर है, बाबू ओमी उठा जा। 

सही रस्ता ये रहबर ........ 

सही रस्ता ये रहबर, तुम्हे दिखला रहा है। 

 ओ जागो रे ए..  जागो रे.....  2



अँधेरा जा रहा है,  सबेरा आ रहा है। 

सोये कब तक रहोगे, वक्त समझा रहा है।  

ज्ञान का सूरज ये..ए ..... 

ज्ञान का सूरज ये, नूर बरसा रहा है। 

ओ जागो रे ए..  जागो रे.....  2 





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